संडे डायरी: विजय कुमार दास (मो. 9617565371)
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का जीवन काल संघर्षों, चुनौतियों तथा माता के आशीर्वाद से सफलताओं की परवान चढ़ा। आज संघर्षशील इस युवा नेता ने मध्यप्रदेश में लगातार चार बार मुख्यमंत्री रहने का रिकार्ड भी बनाया है। लेकिन उनकी सफलता के पीछे उनकी प्रतिबद्धता और राजनीति में सत्ता संचालन का सूत्र, मातृत्व प्रेम तथा बेटियों की रक्षा-सुरक्षा के कमिटमेंट के साथ ही संचालित होते आया है। शिवराज सिंह चौहान ने अपनी चौथी पारी के आखरी बजट को महिला सशक्तिकरण और युवा बेरोजगारों पर केंद्रित करते हुए उ्मीदों भरी सरकार का सपना दिखाया है। और तो और लाड़ली लक्ष्मी योजना के बाद लाड़ली बहना योजना के द्वारा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश के करोड़ों परिवारों के घरों में सीधे प्रवेश कर लिया है, और उनका लाड़ली बहना योजना की दूरगामी परिणामों को कांग्रेस का कोई नेता समझने को तैयार नहीं। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ शिवराज सिंह चौहान को झूठ बोलने की मशीन कहते है, लेकिन सच क्या है और उस सच के करीब क्या है इस विश्लेषण को करने में उन्हें एक मिनट लगता है, और कमलनाथ जी शिवराज की योजनाओं को बकवास बताकर पल्ला झाड़ लेते है। ‘राष्ट्रीय हिन्दी मेल’ के इस प्रतिनिधि ने आज संडे डायरी में एक डिस्क्लेमर दिया है कि वह यह है कि राष्ट्रीय हिन्दी मेल किसी भी बेईमान नौकरशाह के बारे में आलोचना या विरोध या फिर सवाल मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार से झगड़े का विषय नहीं है। यह बात अलग है कि एक बेशर्म नौकरशाह ने राष्ट्रीय हिन्दी मेल मीडिया हाऊस की डेढ़ साल से बिजली सप्लाई अवैध रूप से बंद करके रखी है और जानबूझकर उक्त नौकरशाह ने मुख्यमंत्री को अंधेरे में रखते हुए स्वच्छ और निष्पक्ष पत्रकारिता के धरातल को और स्थापित पत्रकारों के संस्थान राष्ट्रीय हिन्दी मेल को कुचल दिया है। इसके बावजूद भी हमारा यह डिस्क्लेमर है कि इस मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए कोई विरोध के स्वर नहीं है…। परंतु लोकतांत्रिक व्यवस्था में मीडिया के प्रति विश्वास करने वाले, पत्रकारिता के प्रति चौथे स्तम्भ की संविधान की व्याख्या के अनुरूप स्मान करने वाले मुख्यमंत्री से उनके 65 वें जन्मदिन पर शुभकामनाओं के साथ यह सवाल पूछना गैरवाजिब नहीं है कि शिवराज जी आपने मीडिया से दूरी क्यों बना ली। इस संडे डायरी में यह लिखने में संकोच नहीं है कि जितना प्यार और स्मान आपको पूरे विश्वास के साथ आपकी सफलता का राज श्रीमती साधना सिंह है तो इस बात से आप इंकार नहीं कर सकते। मीडिया ने आपकी सफलता में चार चांद लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, इसलिए आप 100 साल राज करें, हमें खुशी होगी लेकिन शर्त है, हर सौ घंटे में हमें पूछे कि हम कैसे है। पत्रकारिता कोई ऐसा व्यवसाय नहीं है, जो सड़क के निर्माण और रेत के ठेकों तथा उद्योगों में घोटालों के भरोसे अपनी बात करता है, शिवराज जी मीडिया वही करता है जो मध्यप्रदेश के लिए मुख्यमंत्री के रूप में आपका कमिटमेंट है व उसकी निगरानी भी करता है। लेकिन दुर्भाग्य है वॉच डॉग की निगरानी के फायदे उठाने के बजाय सबके मुंह में पट्टे बांधकर नौकरशाही का एक वर्ग 100 प्रतिशत गलत काम को भी आपके सामने जनता के हित की योजनायें बता देता है और बाद में उसकी कीमत शिवराज सिंह चौहान ही चुकाते है। इसलिए मैंने शिवराज सरकार का 2023-24 का बजट ध्यान से विश्लेषित करने के बाद यह लिखने का साहस किया है कि उ्मीदों भरा बजट तो है, संभवत: आप पाँचवी बार भी मुख्यमंत्री बन सकते है लेकिन बे उ्मीद पत्रकार क्यों हो रहे है, इसका भी चिंतन कीजिए। यह दुर्भाग्य का विषय है कि जनसंपर्क संचालनालय को प्रमुख सचिव एवं आयुक्त जनसंपर्क राघवेन्द्र सिंह ने विज्ञापन बांटने की ऐजन्सी बना दी है। हालांकि वह पत्रकारिता के लिए एक जरूरी हिस्सा भी है लेकिन सरकार के सामने चुनौतियों को लेकर संवादहीनता मध्यप्रदेश के इतिहास में पत्रकारिता के लिए कठिनतम दौर भी है। हम आपको लिख नहीं सकते, हम आपसे बोल नहीं सकते और आप हमारी सुन नहीं सकते तो क्या यह सवाल नहीं उठता कि हमारा सरकारी तंत्र जानबुझकर पत्रकारों को आपसे दूर रखकर आपको ही नुकसान पहुंचा रहा है। खैर आज आपका जन्मदिन है जीवेत शरद: शतम् 65वां साल शुरू हो रहा है 100 वर्ष तक आप राज करें हमारी शुभकामनाएं है लेकिन अपने जन्मदिन को मध्यप्रदेश की पत्रकारिता के लिए भी समर्पित करने की कोशिश करेंगे तो मध्यप्रदेश की कायाकल्प होने में मीडिया आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने को तैयार है। बस शर्त एक है पत्रकारिता की युवा फौज को अनुभव और ज्ञान कम है इसलिए पुरानी पीढ़ी और नई पीढ़ी पत्रकारिता का ऐसा हो जिसे साथ लाने में आपकी भूमिका हो तो यकीन मानिये लक्ष्य अधूरा नहीं जायेगा। जिन विभागों में भ्रष्टाचार की गंगा है उसे समाप्त करने पत्रकारिता का उपयोग होना चाहिए, बुजुर्ग पत्रकारों को अनुभवी और वरीष्ठ पत्रकारों को श्रद्धानिधी कम से कम 25000 रुपये महीना होना चाहिए और पत्रकार सुरक्षा कानून को मध्यप्रदेश में कड़ाई से लागू किया जाये इन्हीं अपेक्षाओं के साथ जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनायें….।
छत्तीसगढ़