कमलनाथ-सिंधिया आमने सामने, शिवराज-डिफेन्सिव भ्रष्टाचार और बेरोजगार सबसे बड़ा सवाल

कड़वी खबर: विजय कुमार दास (मो. 9617565371)
मध्यप्रदेश में किसी तुफान के आने के पहले की खामोशी, राजनीति में करवट भी लेने की स्थिति में नहीं है। भारतीय जनता पार्टी के दिल्ली स्थित मुख्यालय में, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सन को, बनाए रखने की भारी चिंता है। क्योंकि एन्टी इन्कमवेन्सी फेक्टर 2018 में विधानसभा चुनाव के समय तब भी प्रभावशाली था, जब उन्होंने संबल योजना लागू की थी और भाजपा चुनाव हार गई थी। शिवराज सिंह चौहान ने दूसरी बार संबल योजना से बड़ी लोक लुभावन योजना, लाड़ली बहना योजना का मास्टर स्ट्रोक लगाया है, लेकिन इस योजना का भी असर संबल योजना की तरह ही है, ना लाभदायक है और ना ही नुकसान दायक। मतलब भारतीय जनता पार्टी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने 2018 से, परिस्थितियों को 2023 में बदल देना बहुत बड़ी चुनौती है। और तो और 2018 की जन आशीर्वाद यात्रा से जिस प्रकार एन्टी इन्कमवेन्सी फेक्टर का काउन्टर नहीं हो पाया था, उसी प्रकार 2023 में विकास यात्रा ने भी विधायकों के खिलाफ एन्टी इन्कमवेन्सी फेक्टर को शिवराज के खिलाफ नेतृत्व के लिए चुनौती बना दिया है। इसलिए शिवराज सिंह चौहान का डिफेन्सिव होना यदि दिल्ली में भाजपा मुख्यालय गलत नहीं समझ रहा है, तो फिर कौन बनेगा मुख्यमंत्री के सवाल पर मध्यप्रदेश के 18 जिलों की जनता के सतही उत्तर भी गलत नहीं है। कौन बनेगा मुख्यमंत्री के सवाल पर ‘राष्ट्रीय हिन्दी मेल’ टीम की आज दूसरी किश्त है और यह किश्त हमारी, कड़वी खबर से 100 प्रतिशत मिलती-जुलती है, इसलिए आज पाठक कौन बनेगा मुख्यमंत्री के सवाल को पहले समझेंगे और जनता से निकाले गये उत्तर को समाधान के रूप में देखेंगे, ऐसा हमे विश्वास है। आज हमारी शुरूआत विंध्य प्रदेश से है, जहां पर मुख्यमंत्री शिवराज ङ्क्षसह चौहान और केन्द्रीय मंत्री महाराजा ज्योतिरादित्य सिंधिया दोनों की तुलना में जनता का आकर्षण भाजपा नेता के रूप में, सिंधिया के साथ उस दिन से जुड गया है, जिस दिन से सिंधिया ने हवाई अड्डे के लोकार्पण के साथ यहा के विकास में उड़ान भरने का दम भरा था। 100 में 38 लोगों ने यह कहा कि, विधानसभा अध्यक्ष और पूर्व मंत्री राजेन्द्र शुक्ला तथा सतना के प्रभावशाली सांसद गणेश सिंह और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा सब चाहते है कि, ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसा युवा चेहरा और ईमानदार नेता विंध्य के विकास में आ चुका है, वरना भाजपा पिछड़ जायेगी। ठीक इसके विपरीत 100 में से 60 लोगों ने कांग्रेस पार्टी में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को ही अपना नेता माना है, लेकिन शर्त रखी है कि, जीतू पटवारी और कमलेश्वर पटेल जैसे युवा पूर्व मंत्रियों का हाथ पर हाथ चाहिए, वरना कमलनाथ अकेले विंध्य में पहाड़ नही खोद सकते। इसलिए, सिंधिया के सामने विंध्य प्रदेश में कमलनाथ ही आर-पार है। ठीक यही स्थिति कौन बनेगा मुख्यमंत्री के सवाल के उत्तर में मालवा में भी उभर कर आई है। कांग्रेस में कमलनाथ के साथ जीतू पटवारी और सिंधिया के साथ भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय के गठजोड़ का ही मुकाबला है। लेकिन कड़वी खबर यह है कि, सिंधिया और विजयवर्गीय तथा कमलनाथ और जीतू पटवारी दोनों की स्थितियां आमने-सामने होते हुए भी, बराबर-बराबर की है, मतलब 50-50। यहां उल्लेखनीय बात यह नजर आई है कि, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रति प्रो इन्कमवेन्सी फेक्टर भी है, परन्तु उनके बेरोजगार, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार ऐसे मुद्दे है जो, इंदौर से लेकर भोपाल तक मुख्यमंत्री की छवि को तार-तार करने में जुटे हुए है। मालवा के कुछ युवाओं ने उग्रता और प्रमाणिकता के साथ, भोपाल की सेडमेप नामक सहकारी संस्था की कार्यपालक संचालक अनुराधा सिंघई को बेरोजगारों के लिए कैंसर बताया है। एक युवा ने कहा कि, सेडमेप में 1000-1200 पदों की भर्ती के लिए, ग्रामीण विकास विभाग के विज्ञापन निकाले और आवेदन पत्रों 1 लाख आवेदकों से आए हुए आवेदन की फीस के साढ़े 6 करोड़ रूपये इधर- उधर कर दिए। उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव, भ्रष्ट कार्यकारी निदेशक का समर्थन करते हुए कहते है कि, सेडमेप 3 करोड़ के फायदे में है, लेकिन बेरोजगारों को ठगा गया ये उन्हें पता नहीं है। और तो और सेडमेप के पुराने कर्मचारियों को योग्यता के मापदण्डों पर अयोग्य कार्यपालक निदेशक अनुराधा सिंघई ने बेरोजगारी के दौर में, पुराने कर्मचारियों को धक्के मारकर निकाल दिया और कहा वीआरएस लो नहीं तो जेल जाओं। इस कड़वी खबर में इस मुद्दे का अलंकरण मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए, कौन बनेगा मुख्यमंत्री के सवालों में छिपा हुआ एक उत्तर है। फिर भी मालवा से शिवराज और सिंधिया की जोड़ी में पदोन्निति नहीं तो क्रमोन्निति जरूर है। लेकिन आमने-सामने मालवा में भी सिंधिया और कमलनाथ के अलावा कोई और दूर-दूर तक दिखाई नहीं पड़ता। इस कड़वी खबर का लब्बोलुआब यही है कि, मध्यप्रदेश में 2023 का विधानसभा चुनाव शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री रहते हुए भी सिंधिया और कमलनाथ के बीच में जनता की अदालत मेंं, आर-पार का कुरूक्षेत्र बन चुका है। कांगे्रस की और से कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी को मार्जिनल करके और भारतीय जनता पार्टी में कैलाश विजयवर्गीय को अंडर एस्टीमेट करके ये चुनाव नही लड़े जाएंगे, इसलिए पढ़ते रहिए मध्यप्रदेश में कौन बनेगा मुख्यमंत्री और करते रहिए सवाले के पीछे सवाल और हर सवाल का उत्तर राष्ट्रीय हिन्दी मेल की टीम आप तक पहुंचाएगी इसका करिए इंतजार …।