सिंधिया रखे शिवराज को आगे यशोधरा राजे की मुश्किलें कम नहीं..

संडे डायरी: विजय कुमार दास (मो. 9617565371)
मध्यप्रदेश की राजनीति में सिंधिया परिवार भारतीय जनता पार्टी के लिए उसके जन्म से ही शुभांकर है, ऐसा माना जाये तो चौंकाने वाला कोई विषय नहीं होगा। बता दें कि जब से महाराजा ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भारतीय जनता पार्टी की मध्यप्रदेश में कांग्रेस की श्रीमती सोनिया गाँधी को बाय-बाय करके भाजपा की सरकार बनाई है तब से मध्यप्रदेश की राजनैतिक पंडितों को सिंधिया द्वारा बार-बार इस बात का स्मरण कराया जाना गलत नहीं है कि उनकी आजी अ्मा अर्थात स्व. राजमाता विजयराजे सिंधिया भारतीय जनता पार्टी की जन्मदाता रहीं हैं। सिंधिया कहते है कि उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सोच को आत्मसात कर लिया है और अपने पूज्य पिता स्व. माधवराव सिंधिया के सपनों को पूरा करने के लिए राजनीति को जनसेवा का माध्यम बनाकर ग्वालियर चंबल ही नहीं पूरे मध्यप्रदेश का विकास करेंगे। वाक्या है बीते कल में ज्योतिरादित्य सिंधिया शिवपुरी में एक सार्वजनिक मंच पर अपने राजनैतिक इरादो का प्रदर्शन कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने दो बातों का गंभीरता से ध्यान रखा, जिसे आप महाराजा ज्योतिरादित्य सिंधिया की परिपक्व राजनीति से तथा मध्यप्रदेश का जननायक के रूप में आप जनता को आकर्षित करने का अनुपम प्रयास कह सकते हैं। बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. माघवराव सिंधिया की जयंती पर दो बाघों को छोडऩे के पराक्रम के दौरान राजनैतिक गतिविधियां जिसमें आप महाराजा ज्योतिरादित्य सिंधिया का ‘बॉडी लैग्वेज’ भी आसानी से रीड कर सकते हैं, उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को आगे कर दिया। और तो और सिंधिया ने अपने व्यवहार में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ उनकी केमेस्ट्रिी के मजबूत इरादो को उजागर भी कर दिया है। आज संडे डायरी में यह लिखने में संकोच नहीं है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि मध्यप्रदेश में 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए वे भारतीय जनता पार्टी की और से मुख्यमंत्री का चेहरा बनते है अथवा नहीं, लेकिन इस बात से जरूर फर्क पड़ेगा कि भारतीय जनता पार्टी के उनके सर्मथक और शिवराज सिंह चौहान के समर्थक कार्यकर्ताओं के बीच में किसी भी प्रकार का मतभेद हो और उसका फायदा पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह उठा ले जाये। इसलिए ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने राजनैतिक कदमों को इस वक्त फूंक-फूंक कर उठा रहे है। और यह भी सुनिश्चत करने की कोशिश कर रहे है कि महल के अंदर का श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया को लेकर पारिवारिक मतभेद किसी भी कारण से एक्सपोज नहीं होना चाहिए। सूत्रों के अनुसार ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भरपूर कोशिश यह भी की है कि शिवपुरी में उनकी बुआ केबिनेट मंत्री श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया से भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से संबंध सद्भाव भरा होना चाहिए। और तो और सिंधिया ने शिवपुरी जिले में श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया के सहमति और असहमति को भी ध्यान में रखकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से अनुरोध किया है कि श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया के शिवपुरी जिले में विकास के जो भी प्रस्ताव है वे पूरे किये जाने चाहिए। लेकिन शिवपुरी जिले की राजनीति में आप यह दावा नहीं कह सकते कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया को ब्लाइंड सर्पोट है। बता दें कि शिवपुरी जिले में रोजगार नाम की कोई चीज नहीं है, थोड़े बहुत खदान जो चलते हैं वो अवैध हैं और प्रमुख रूप से संचालित होने वाले वैध खदान बंद है। श्रीमती यशोधरा राजे की यह सबसे बड़ी चिंता है और 2023 विधानसभा चुनाव के लिए उनके सामने जिले में रोजगार सबसे बड़ी चुनौती है जिसकी भरपाई नहीं हो पा रही है और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया गुस्साये तेवर से क्र्फटेबल नहीं हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया सेंडविच बनकर भी चेहरे में शिकन नहीं आने देते, डाउन- टू- अर्थ होकर राजनीति कर रहे है। खोज का विषय बन गया है।