चुनाव जीतना है तो सम्हलिए वोटो के लिए बूंद-बूंद से घड़ा भरिए, पुलिस सिपाही का साइकिल भत्ता 18 रूपए मात्र

बड़ी-खबर: संदीप नेपोलियन
मध्यप्रदेश में 2023 के विधानसभा चुनाव सिर पर है और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हर हाल में चुनाव जीतने के लिए जितने भी उपाय संभव हो सकते है उसे लागू करने के लिए उन्होंने अपनी जान लगा दी है। और तो और जिस प्रदेश की जनता को 4 लाख करोड़ के कर्जे का बोझ सहना पड़ रहा है उस प्रदेश में गरीब बहनों को जिन्हें हाल ही में मुख्यमंत्री ने अपनी लाडऩी बहना योजना के अंतर्गत 12,000 रुपए प्रतिवर्ष देने का ऐलान किया है। उन्हीं लाड़ली बहनों में एक ऐसा वर्ग भी है जिन्होंने जन सेवा और अपनी जान लगाकर लोगों की जान बचाने में कोविड काल के दौरान जनसेवा के क्षेत्र में सबसे बड़ा कीर्तिमान स्थापित किया है। और इनको प्रताडि़त करने का आलम इतना खतरनाक है कि इन बहनों कल इंदौर में पत्रकार वार्ता लेकर मुख्यमंत्री से अपनी गुहार लगाई है। जी हां हम बात कर रहें हैं ग्वालियर जयारोग्य अस्पताल में 50 से अधिक नर्स बहनें अपनी प्रताडऩा को लंबे समय से ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल तथा मेडिकल कॉलेज में झेल रही है। मुख्यमंत्री जी आप इन बहनों की आवाज यदि सुन लेंगे तो आपके भी रोंगटे खड़े हो जायेंगे। यह एक शर्मनाक वाक्या है कि जयारोग्य अस्पताल के अधिक्षक द्वारा नर्सो को छ:-छ: महिने तनख्वा नहीं दी जाती और छुट्टी मारने पर रात को अकेले में आकर मिलने का दबाव बनाया जाता है। यह हम अपनी मर्जी से नहीं लिख रहे है। यह बात तो 1 मार्च को जब जयारोग्य अस्पताल की नर्सो ने गजराजा मेडिकल कॉलेज के डीन अक्षय निगम तथा जयारोग्य अस्पताल के डाक्टर धाकड़, ग्वालियर के कमिश्नर दीपक सिंह को लिखित रूप में दी। और जब उनकी शिकायत कर कोई कार्रवाही नहीं हुई तब इन बेचारी नर्से इंदौर में मजबूर होकर पत्रकार वार्ता करते हुए डीन और अधीक्षक पर गंभीर आरोप लगाये। इस खबर को उजागर करना हमने जरूरी इसलिए समझा है क्योंकि एक तरफ मुख्यमंत्री की लाड़ली बहना योजना और दूसरी तरफ लाड़ली बहनों के साथ क्रूरता और जिंदगी बर्बाद करने तक अत्याचार, जांच करा लीजिए दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा। और यदि आपने इन बहनों को न्याय दिलाया तो चुनावी वोटो के घड़े में भी ये लाड़ली बहने वोटों की एक-एक बूंद भरकर आपकी शोहरत बढ़ाये तो आश्चर्य की कोई बात नहीं होगी। शिवराज जी इसी तरह दूसरे गंभीर मुद्दे पर आपको सूचना दे रहे है। वह गंभीर मुद्दा है मध्यप्रदेश की पुलिस का एक सिपाही जिसने भी 24-24 घंटे जान की बाजी लगाकर हजारों लोगों की जान बचाई लेकिन जिन साइकिलों पर घुम-घुमकर हमारे जांबाज सिपाहियों ने परिवारों को सुरक्षित रखा उनका साइकिल भत्ता मात्र 18 रुपए महिने है मतलब 60 पैसे प्रतिदिन का साइकिल भत्ता आप किसी सिपाही से पूछिए वह इस साइकिल भत्तों के बारे में क्या कहता है ‘हमारे अफसर ताज में बैठकर 500 रोज की चाय पी जाते है दिन में चार बार चार हजार प्रति प्लेट का खाना खा जाते है और सिपाहियों की ऐसी र्दुदशा मुख्यमंत्री जी जरा सोचिये स्हलिये। 1 लाख पुलिस कर्मियों को मिलता है 350 रुपए प्रतिमाह मकान किराया भत्ता। बड़े-बड़े जिला मुख्यालय में पुलिस कर्मियों के पास तो मकान है लेकिन 28 जिले ऐसे है जिनमें पुलिस कर्मियों के पास मकान नहीं है। उत्तरप्रदेश, हरियाणा, पंजाब, में तो 8000 रूपए भत्ता मिलता है प्रतिमाह और अपने यहां 800-900 रुपए। आप कहते है मुख्यमंत्री जी पुलिस सिपाहियों का जीवन स्तर सुधारना मेरी ज्मिेदारी है। लेकिन आज एक पुलिस सिपाही से ‘राष्ट्रीय हिन्दी मेल’ टीम ने पूछा कि क्या शिवराज मामा के राज में हमारा जीवन स्तर सुधरा है। तो हम जितना समझा पाये वह कम था। आप इसे पूरा समझाईये क्योंकि ये भी वोट की बुँदे है।