5 जिलों में शिवराज-सिंधिया एक तरफा 5 जिलों में कमलनाथ-विवेक तन्खा चौतरफा

विशेष रिपोर्ट: विजय कुमार दास (मो. 9617565371)
मध्यप्रदेश में विधानसभा सत्र कांग्रेस के हल्ला बोल प्रोग्राम के चलते दो-चार दिनों में ही हॉफता-हॉफता नजर आएगा और कब किस दिन सत्र की अनिश्चितकालीन समाप्ति की घोषणा हो जाए, इसका अनुमान लगाना मुश्किल है। कुल मिलाकर सत्ता हो या विपक्ष कमलनाथ हो या शिवराज किसी के मन में यह, उद्वेलित नही हो रहा है कि, जनता के मुद्दों को लेकर मध्यप्रदेश की विधानसभा सजग है। सत्ता पक्ष की ओर से गृह मंत्री एवं संसदीय कार्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा भले ही चाणक्य की भूमिका में संसदीय संचालन के लिए, विधानसभा में पक्ष विपक्ष दोनों तरफ के दोनों सदस्यों को रिचार्ज करते रहते हैं, लेकिन इसका फायदा कुछ होने वाला नहीं है क्योंकि अब सबकी नजर 2023 के विधानसभा चुनाव के बाद कौन बनेगा मुख्यमंत्री के मुद्दे पर ही केन्द्रित है। ‘राष्ट्रीय हिन्दी मेल’ टीम की पड़ताल कौन बनेगा मुख्यमंत्री के सवाल पर अलग-अलग जिलों में पृथक-पृथक रिपोर्ट तैयार करने में जुटी हुई है, और यह हमारी चौथी किश्त है, जिसमें हम दावे के साथ यह कह सकते है कि, मध्यप्रदेश में शिवराज-सिंधिया और कमलनाथ-विवेक तन्खा कुछ जिलों में अहम भूमिका निभा रहे है। राजधानी भोपाल के नजदीक नर्मदापुरम, हरदा, सीहोर, रायसेन और विदिशा ऐसे जिले है जहां पर शिवराज-सिंधिया की जोड़ी ने कमाल कर रखा है। यह लिखने में संकोच नहीं है कि, इस प्रतिनिधि की पड़ताल में स्पष्ट संकेत मिले है कि, उपरोक्त पाँचों जिलों में शिवराज और सिंधिया का प्रभाव एक तरफा है, मतलब उपरोक्त पाँचों जिलों की सभी विधानसभा सीटे कुछ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कारण और कुछ केन्द्रीय मंत्री महाराजा ज्योतिरादित्य सिंधिया के कारण संपूर्ण प्रभावशाली आयामों के साथ जुड़कर भारतीय जनता पार्टी की झोली में 100 प्रतिशत आ सकती है। बशर्ते शिवराज- सिंधिया दोनों इन क्षेत्रों में गुड-गर्वंनेन्स और डिलेवरी सिस्टम को लेकर जिला कलेक्टर्स एवं पुलिस अधीक्षकों को विश्वास में रखकर योजनाओं के क्रियान्वयन को समय रहते, धरातल पर उतार सके और जनता की उन शिकायतों का निवारण टाइम बॉउण्ड प्रोग्राम के तहत कर पाएं। वैसे तो नर्मदापुरम, हरदा, विदिशा और रायसेन के कलेक्टर शत्-प्रतिशत लोक लुभावन नितियों के क्रियान्वयन पूरी कर चुके है, इसकी जानकारी हमारे पास है, परन्तु सीहोर पिछड़ा हुआ है, यह चौकाने वाला वाक्या है। लेकिन शिवराज सिंह चौहान की व्यक्तिगत रूचि ने सीहोर जिले में राजनैतिक कब्जा प्रमाणित कर दिया है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता, मतलब इन पाँचों जिलों में शिवराज- सिंधिया के पक्ष में चुनावी समीकरण एक तरफा होगा। वहीं दूसरी ओर महाकौशल के जबलपुर को छोड़कर सिवनी, छिंदवाड़ा, मण्डला, बालाघाट और नरसिंहपुर में कमलनाथ-विवेक तन्खा की जोड़ी ने चौतरफा कमाल कर दिया है। जबलपुर में कलेक्टर सौरभ सुमन ने लाड़ली बहना योजना से लेकर, राजस्व प्रकरणों में सीमांकन तथा नामांतरण और ग्रामीण अंचलों में किसी भी किसान की शिकायतों को अधूरा ना छोड़ते हुए, शिवराज सरकार की नीतियों के क्रियान्वयन में जो तत्परता दिखाई है। राष्ट्रीय हिन्दी मेल के इस प्रतिनिधि की रिपोर्ट के अनुसार जबलपुर के कलेक्टर सौरभ सुमन ने 50 प्रतिशत काम पूरे कर लिये है, राजस्व प्रकरणों में ढ़ाई हजार प्रकरणों में से 1500 प्रकरणों का निपटारा पूरा कर लिया है और 200 राशन की दुकानों में राशन वितरण की व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए, योग्य दुकानदारों का चयन भी कर लिया है। कलेक्टर के इन सब फैसलों का फायदा भारतीय जनता पार्टी को मिल सकता है जहां पर फिलहाल कांग्रेस और भाजपा आधी-आधी है। बाकी उपरोक्त पाँच जिले ऐसे है, जिसमें छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट, मण्डला और नरसिंहपुर में कमलनाथ-विवेक तन्खा की साझा रणनीति से भाजपा के होश उड़ गए है। कौन बनेगा मुख्यमंत्री के सवाल पर यह पाँचों जिले एक स्वर में कमलनाथ का ही नाम लेते है, लेकिन दबी जुबान से यह भी कहते है, कि यदि ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री का चेहरा बन जाए तो, बाजी पलट सकती है। इस विशेष रिपोर्ट का लब्बोलुआब यह है कि, शिवराज-सिंधिया को अलग-अलग इलाकों में चुनौती देने के लिए कमलनाथ अलग-अलग नेताओं के साथ साझा रणनीति बना रहे है, और इसी के चलते आम आदमी पार्टी के केजरीवाल को अपने हल्ला बोल में कमलनाथ शामिल कर ले तो चौकिएगा मत।