विनम्र श्रृद्धांजलि: लेखिका श्रीमती सरिता सक्सेना का निधन

राष्ट्रीय हिन्दी मेल टीम: विनम्र श्रृद्धांजलि
मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार, कवि एवं साहित्यकार सुधीर सक्सेना को कल सुबह अपने पारिवारिक जीवन में सबसे बड़े बज्रपात का सामना करना पड़ा। यह अविश्वसनीय खबर जब सुबह-सुबह पत्रकारिता जगत को मिली कि, श्री सुधीर सक्सेना की धर्म पत्नी श्रीमती सरिता सक्सेना का हार्ट अटेक से निधन हो गया है तो, सबसे पहले शोक की लहर अंसल प्रधान इन्क्लेव में सैकड़ो रहवासियों के बीच बिजली की करंट की तरह फैल गई, फिर उसके बाद सुधीर सक्सेना के प्रिय मित्र पीटीआई से रिटायर्ड वरिष्ठ पत्रकार विरेन्द्र सिन्हा ने, समूचि पत्रकारिता जगत को अपने शोक संदेश के माध्यम से अवगत कराया। इसमें संदेह नहीं है कि, 4-5 दशकों से पत्रकारिता में सक्रिय सुधीर सक्सेना के पत्रकार होने की यात्रा में असली हस्ताक्षर स्व. श्रीमती सरिता सक्सेना एक लेखिका के रूप में ख्याति नाम था जो, असमय हम सबका साथ छोड़ते हुए अपने पीछे पति सुधीर सक्सेना और एक बेटी और एक पुत्र को छोड़कर अलविदा हो गई। स्व. श्रीमती सक्सेना के अंतिम संस्कार में पत्रकारिता जगत के सैकड़ो हस्ताक्षर मौजूद रहे, उनका दाह संस्कार कल सायं: 6 बजे के बाद भदभदा विश्राम घाट में विद्युत शवदाह गृह में किया गया। इस अवसर पर एक सक्षिप्त शोकसभा भी आयोजित की गई, जिसमें वरिष्ठ पत्रकार एन.के. सिंह, पलाश सुर्जन, राजेश बादल, प्रकाश हिन्दुस्तानी, वीरेन्द्र सिन्हा, राकेश पाठक तथा सेन्ट्रल इंडिया प्रेस क्लब एवं राष्ट्रीय हिन्दी मेल परिवार की और से स्व. श्रीमती सक्सेना को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। सुधीर सक्सेना ने अपनी पत्नी के निधन को ऐसी क्षति बताई, जिसकी भरपाई होना किसी भी हालत में संभव नहीं है। प्रसिद्ध साहित्यकार एवं लेखक विजय बहादुर सिंह तथा जनसंपर्क के पूर्व संचालक रघुराज सिंह ने इस अवसर पर सुधीर सक्सेना की पत्रकारिता में स्व. श्रीमती सरिता सक्सेना के योगदान का जिक्र किया और कहा कि, श्रीमती सक्सेना की लेखनी में सामाजिक दृष्टिकोण व्यापक होता था। उल्लेखनीय है कि, स्व. श्रीमती सक्सेना दुनिया इन दिनों नामक पाक्षिक पत्रिका की संपादक भी थी।