गिरीश गौतम के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव धराशायी अनिश्चित काल के लिए विधानसभा स्थगित

विशेष रिपोर्ट: विजय कुमार दास (मो. 9617565371)
मध्यप्रदेश विधानसभा के बजट सत्र में आज आखिरी दिन स्पीकर गिरीश गौतम के खिलाफ प्रस्तावित अविश्वास प्रस्ताव धराशायी उस समय हो गया जब गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने विधानसभा सदन की पर्परा और नियमों का उल्लेख करते हुए अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले नेता प्रतिपक्ष सहित कांग्रेस के सभी विधायकों की आंखे खोल दी। हालांकि विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने लंच ब्रेक से पहले अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए 27 मार्च की तारीख दी, तब संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इसे नियम विरुद्ध बताते हुए आपत्ति जताई और कहा कि नियम के अंतर्गत अविश्वास प्रस्ताव विधानसभा अध्यक्ष के विरूद्ध लाया ही नहीं जा सकता। उन्होंने विधानसभा सदन संचालन के नियमों की पुस्तक के अंदर उल्लेखित जानकारी का मुद्दा उठाते हुए स्पीकर के सामने पाइंट ऑफ आर्डर रखा और कहा कि सदन नियमों एवं पर्पराओं से ही चलता है। डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने विधानसभा अध्यक्ष से स्पष्ट शब्दों में कहा कि गलत पर्परा और नियमों के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव को ग्राह नहीं किया जा सकता। डॉ. मिश्रा ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ केवल संकल्प ही लाया जा सकता है, जो कि नियमों के अंतर्गत है और इसका ज्ञान नेता प्रतिपक्ष को नहीं है, यह आश्चर्यजनक घटना है। डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने यहां तक कहा कि 27 मार्च को अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए अध्यक्ष द्वारा ग्राह करना ही नियम विरूद्ध है, जिसे वापस लिया जाए और ऐसा हुआ भी। और तो और सदन दोबारा शुरू होने पर नरोत्तम मिश्रा स्पीकर से सहमत नहीं दिखे। उन्होंने कहा- मैं भारतीय जनता पार्टी की ओर से प्रस्ताव कर रहा हूं कि इस अविश्वास प्रस्ताव को अस्वीकृत किया जाए। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीताशरण शर्मा ने भी कहा कि कोई भी काम नियमों के विपरीत हो, तो उस पर कोई चर्चा नहीं हो सकती। विधानसभा के पहले दिन और अंतिम दिन चर्चा नहीं हो सकती। ऐसे में स्पीकर ने भाजपा के प्रस्ताव पर पक्ष और विपक्ष के सदस्यों से हां/न कराई। इसके बाद भाजपा का प्रस्ताव स्वीकृत हो गया और बजट भी पारित हो गया, इस बीच कांग्रेस विधायक सदन से वॉकआउट कर गए, तब वित्त जगदीश देवड़ा अपनी तैयारी के अनुसार बजट विभाग वार पारित करवाते हुए यह संकेत दिये कि अब इस सत्र को आगे चलाये जाने का कोई औचित्य नहीं है। लेकिन इसके पहले सत्ता की ओर से लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव, कृषि मंत्री कमल पटेल, सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया तथा स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने विधायकों द्वारा उठाये गये सवालों का सिलसिलेवार उत्तर भी दिया। परन्तु महिला विधायक श्रीमती हीना कांवरे तथा पहली बार चुनी गई एक महिला विधायक के सवालों के उत्तर देने में सतापक्ष के मंत्री कई बार अनुतरित रह गये। विधायक वीरेन्द्र सिंह रघुवंशी ने तथा विधायक उमाशंकर शर्मा ने सत्तारूढ़ दल के मंत्रियों को घेरने में उस समय कोताही नहीं बरती जब छतरपुर के विधायक आलोक चतुर्वेदी धुंआधार सवाल दागते हुए सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया पर निशाना साध रहे थे। इस विशेष रिपोर्ट का लब्बोलुआब यह है कि पहली बार विधानसभा का सत्र सदन के नेता मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अनुपस्थिति में ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया और उत्साही युवा विधायकों को बोलने का मौका नहीं मिलने से उनमें निराशा का वातावरण स्वस्थ एवं निष्पक्ष सदन की परिकल्पना से दूर था और सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। समझा जाता है कि मध्यप्रदेश विधानसभा में सदस्यों की रूचि के अभाव से आने वाले मानसून सत्र में सदन मात्र दो दिनों में ही सिमट जाये, तो चौंकिएगा मत।