समाचार विश्लेषण: अनीता चौबे (मो. 9893288371)
भोपाल में सिनेमा घर बुक कर भाजपा प्रदेश प्रवक्ता नेहा बग्गा ने 251 कॉलेज छात्राओं के साथ समाज में धर्म की आड़ में चल रहा हैवानियत का खेल लव जिहाद की सचाई पर आधारित फिल्म ‘द केरला स्टोरी ‘जागरूकता की दृष्टि से दिखाई। देश और समाज का एक हृदय विदारक सत्य और किस प्रकार से गैर इस्लामिक लड़कियो एवं महिलाओं के साथ षडयंत्र रच कर उनका जीवन नर्क बनाया जा रहा है उसे देखा। नेहा बग्गा ने कहा कि ये केवल एक सिनेमा ही नहीं बल्कि जन जागरण की मोहिम है। जब समाज से जुड़ी हुई सच्चाई सामने | आयी है तो कुछ लोगो को कष्ट हो रहा है क्यो ? ये केरला स्टोरी के माध्यम से जो दिखाया गया है वो पूरे विश्व की समस्या है। तुष्टिकरण की राजनीति के लिये कांग्रेस एवं अन्य दल देश की बेटियो की प्रताड़ना की अनदेखी कर रहे है। देश का दुर्भाग्य देखिए कि काँग्रेस आज समाज को तहस-नहस करने वाली इस आतंकी प्रवृत्ति के साथ खड़ी नजर आ रही है। बता दें कि फिल्म ‘द केरला स्टोरी ” फिल्म मे लव जिहाद के जाल से निकलकर इस्लाम से फिर घर वापिसी करने वाली एक किरदार रोते हुए कहती है ‘पापा गलती तो आपकी ही है कि आपने हमें बहुत कुछ बताया, परन्तु हमारा धर्म और हमारी संस्कृति हमारे संस्कार क्या है; इस विषय में कभी कुछ नहीं बताया ”। ‘द केरल स्टोरी” थिएटर में रिलीज हो चुकी है। इस फिल्म के साथ फिल्म निर्माता सुदीप्तो सेन ओर क्रिएटिव डायरेक्टर विपुल शाह ने ऐसी कहानी बयां करने की कोशिश की है जिसे देख आपका दिल यकीनन दहल जाएया। अदा शर्मा, योगिता बिहानी के साथ सोनिया बेलानी इस फिल्म में प्रमुख भूमिका निभाते हुए नजर आ रही हैं उल्लेखनीय है कि फिल्म की कहानी शुरु होती है शालिनी उन्नीकृष्णन से, जिसे अफगानी सुरक्षा फोर्स आतंकवादी करार देते हुए हिरासत में लेती है।
शालिनी बार बार यह कहने की कोशिश करती है कि वो पीड़ित है लेकिन उस पर कोई विश्वास नहीं करता। तब फ्लैशबैक में शुरू होती है शालिनी की कहानी कोच्चि की शालिनी कासरगोड़ के नर्सिंग स्कूल में पढ़ाई करने जाती है वहां उनकी मुलाकात नीमा, गीतांजलि और आसिफा से होती है। तकनीक और प्रोफेशनल ट्रेनिंग के तहत आसिफा अपनी तीन खास दोस्तों का ब्रेन वॉश करती है। इस्लाम धर्म सर्वश्रेष्ठ है और इसे सबको स्वीकारना चाहिए. ये विचार उनके दिमाग में बार बार डालती रहती है। फ़िर किसी तरह से केरल की ये लड़कियां आसिफा के चंगुल में फंस जाती हैं कैसे इन लड़कियों को प्रेग्नेंट करने के बाद बाहर देश भेजा जाता है इन लड़कियों के साथ- साथ उनका परिवार भी किन किन मुश्किलों से गुजरता है कहानी इन्हीं चीज़ों के इर्द गिर्द घूमती है। निर्देशक सुदिप्तो बधाई के पात्र हैं कि हमारे देश के सबसे ज्यादा साक्षर कहलाने वाले राज्य की भयावह वास्तविकता को चतुराई से पेश करते हैं। उनकी ये फिल्म देखने वालों को तब बेचैन कर देती है जब ये दिखाया जाता है कि किस तरह से सभी धर्म की निर्दोष महिलाओं को कभी प्यार से तो कभी धमकी देकर इस्लाम में परिवर्तित किया जाता है और यही समय है जब फिल्म में दिखाया हुआ दर्द आपके दिल तक पहुँचा कर निर्देशक का विजन सफ़ल होते हुए नजर आता है। “द केरल स्टोरी” जैसे विषय को बड़े पर्दे पेश करना आसान नहीं था, लेकिन इस मामले में सुदीप्तो डिस्टिन्कशन मार्क के साथ पास हुए हैं। लेखक ने बड़ी खूबसूरती से डायलॉग लिखे हैं श्रीलंका, सीरिया सब के ब्लास्ट में केरल के लड़के मिलते हैं तब भी आपको सबूत चाहिए, जिसको खुद डर लगता है वो तुम्हारी रक्षा कैसे करता है जैसे कुछ डायलॉग आपको हैरान कर देते हैं। ये प्रत्येक बच्चे को और हर घर को समझने की जरुरत है हम चाहे कितना भी आधुनिक हों पर अपनी जड़ों से जुड़े रहना अत्यंत आवश्यक है, इसलिए अपने धर्म, संस्कृति, रीति- रिवाज, देवी-देवताओं संस्कारों त्योहारों के बारे में सबको ज्ञान होना ही चाहिए। नेहा बग्गा भी बधाई की पात्र हैं कि उन्होंने इन युवतियों के साथ साथ देश के सभी नागरिको से अपील कर कहा कि इस फिल्म को अपने परिवार एवं साथियों के साथ देखने के लिये प्रोत्साहित करे और जागरूकता के इस अभियान को जन जन तक ले कर जाये।