विशेष रिपोर्ट: विजय कुमार दास (मो. 9617565371)
कर्नाटक राज्य विधानसभा के परिणामों के बाद कांग्रेस के हौंसले बुलंद हैं। अब सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और राहुल गांधी तीनों मिलकर तीन राज्यों मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनाने का सपना दिन में भी देखने लगें है। इसी श्रंृखला में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को बिना बदले सचिन पायलट के नेतृत्व में राहुल गांधी ने विधानसभा 2023 का चुनाव लडऩे का निर्णय लिया है। सूत्रों के अनुसार राजस्थान में कांग्रेस हाई कमान के सचिन पायलट के अनुसार कोई विकल्प नहीं है। जबकि मध्यप्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथही एकमात्र विकल्प हैं, और लिखने में संकोच नहीं है कि कांग्रेस के पास पूरे देश में सोनिया गांधी, राहुल गांधी के बाद कमलनाथ के कद के बराबर का कोई बड़ा नेता नहीं है। इसलिए उ्मीदों की आंधी के साथ यह जानते हुए कि मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी तन-मन-धन और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बाद दूसरे न्बर के पिछड़े वर्ग में सबसे बड़े नेता मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लगातार चुनौतियां दे रहे हैं। इसी के चलते आज कमलनाथ ने पिछड़े वर्ग के मतदाताओं को भरोसे में लेने के लिए ताल ठोककर यह घोषणा की है कि, यदि मध्यप्रदेश में जनता 2023 के चुनाव मेंं उन्हें सत्ता सौंपती है तो 27 प्रतिशत पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण को हर हाल में सुनिश्चित किया जायेगा और उनके इस मास्टर स्ट्रोक ने आज भारतीय जनता पार्टी के सभी नेताओं में हड़कंप मचा दिया हैं। कल देर रात तक कमलनाथ घोषणाओं का असर सबसे ज्यादा विंध्य प्रदेश और महाकौशल में देखने को मिला है। राष्ट्रीय हिन्दी मेल की पड़ताल से आज की तारीख में शिवराज और कमलनाथ दोनों को 19-20 या 20-19 से अधिक आंकलन करते हुए यह लिखने में संकोच नहीं करता कि शिवराज सिंह चौहान की मेहनत का असर यदि व्यापक हुआ तो वे आगे निकल सकते है वरना 2018 की स्थिति शिवराज और कमलनाथ दोनों के लिए एक समान है। जहां तक सवाल है छत्तीसगढ़ राज्य का, वहां पर श्रीमती सोनिया गांधी के सर्वाधिक निकट माने जाने वाले कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य ने कांग्रेस हाईकमान को एक सतही रिपोर्ट में सलाह दी है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को विवादों से बचना चाहिए,क्योंकि राज्य में वर्तमान स्थिति कांग्रेस के ही पक्ष में है। इसी के चलते बताया जाता है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्वयं आगे बढ़कर राहुल गांधी से आग्रह किया है कि यदि पार्टी हाईकमान चाहे तो छत्तीसगढ़ में नेतृत्व परिवर्तन कर सकता है। सूत्रों के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य में भ्रष्टाचार के मुद्दे को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने टारगेट पर ले लिया है, जिससे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बिना डरे, पार्टी को बचाने के लिए स्वयं आगे आकर पहली बार ऐसी पहल कर रहे है, जिससे आंशिक रूप से राहुल गांधी ने सहमति प्रदान कर दी है। लेकिन इस बदलाव में भूपेश बघेल की एकमात्र शर्त है कि नया मुख्यमंत्री टी.एस. सिंहदेव अथवा ताम्रध्वज साहू को नहीं बनाया जाये। सूत्रों का यह भी मानना है कि, चूंकि छत्तीसगढ़ राज्य में 47 प्रतिशत मतदाता पिछड़े वर्ग से आते है, इसलिए यदि बदलाव ही करना हो तो छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत को मुख्यमंत्री पद सौंपने अथवा 2023 के लिए चुनाव के बाद भी भावी मुख्यमंत्री का चेहरा बनाये जाने में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को ऐतराज नहीं है। छत्तीसगढ़ की कांग्रेस राजनीति में पहली बार इस तरह के नये बदलाव के संकेत दो मायनों में महत्वपूर्ण है। पहला तो यह कि ईडी, सीबीआई और जांच एजेंसियों के दबाव से छत्तीसगढ़ मुक्त हो जायेंगा और छत्तीसगढ़ मुक्तांगन में विधानसभा 2023 के चुनाव संपन्न हो जायेंगे। इस विशेष रिपोर्ट का लब्बोलुआब यह है कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सूत्रों के अनुसार यदि छत्तीसगढ़ में चुनाव के पहले बदलाव तय कर दिये गये है तो राहुल गांधी, और प्रियंका गांधी दोनों मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को छत्तीसगढ़ का नया नेता चुनने की ज्मिेदारी इसलिए सौंप सकते हैं। बता दें कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी, और प्रियंका गांधी तीनों यह मानते है कि राजस्थान का विवाद यदि कमलनाथ ने ठीक से सुलझाया है तो छत्तीसगढ़ में भी डा. चरणदास महंत को नये नेता चुनने के लिए कमलनाथ तथा साथ में सुप्रीम कोर्ट के विद्वान अधिवक्ता राज्यसभा सदस्य विवेक तनखा पर ही भरोसा किया जाये तो चौंकिएगा मत…।