आरती शर्मा
बीडीए के आदेश से प्रॉपर्टीधारकों में बढ़ी गफलत
भोपाल 25 दिसंबर। भोपाल विकास प्राधिकरण के एक आदेश से प्रॉपर्टीधारकों में गफलत पैदा हो गई। दरअसल प्राधिकरण ने अपनी सभी साइट्स जिसमें प्लॉट और निर्माणधीन बिल्डिंग तथा फ्लैट आदि शामिल है, उनके दस्तावेजों में जीएसटी लिए जाने का नियम पृथक से अंकित करा दिया।
इस आदेश के बाद रेट बढऩे से घबराए प्रॉपर्टीधारकों ने बीडीए कार्यालय के चक्कर लगाने शुरू कर दिए। महत्वपूर्ण बात यह रही कि बीडीए ने सभी आदेशों में ‘जीएसटी पृथक से देय होगाÓ बोल्ड शब्दों में लिखा, जिसकी वजह से कंफ्यूजन पैदा हो गया। उधर जीएसटी के उलझे नियमों को समझने में बीडीए के अधिकारी भी संशय में थे, जिसे ग्राहकों को सही ढंग से नहीं समझा पाए।
उधर वाणिज्यिक कर विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पहले बिल्डिंग मैटीरियल पर वैट टैक्स लगता था, जो अब जीएसटी में तब्दील हो गया है, लेकिन जीएसटी के उलझे नियमों पर बीडीए अपने प्लॉट या निर्माण की हुई इकाईयों पर कितना टैक्स लेगी, यह तो उन्हें ही तय करना होगा।
गौरतलब है कि बीडीए ने अपने सभी प्लॉट धारकों, बिल्डिंग धारकों के आदेशों में जीएसटी का नियम समान रूप से इंगित कर दिया, जिससे प्रॉपर्टीधारकों को लगा कि इससे जमीनों के रेट बढ़ जाएंगे। एक बार बिल्डिंग मैटिरियल पर टैक्स लेने की बात तो समझ आती है, लेकिन खाली प्लॉट पर जीएसटी ग्राहकों के गले नहीं उतर रही थी, आखिरकार मामले को बढ़ता देख बीडीए अधिकारियों ने हस्तक्षेप करते हुए स्पष्ट किया कि बीडीए के खाली प्लॉट्स पर किसी प्रकार का जीएसटी देय नहीं होगा।
इनका कहना है…
भोपाल विकास प्राधिकरण के खाली प्लॉट्स पर जीएसटी देय नहीं है। यह सिर्फ निर्माणधीन इकाईयों पर ग्राहकों से लिया जा रहा है। प्रॉपर्टीधारक किसी गफलत में न रहें।
नीरज वशिष्ठ
सीईओ बीडीए