बदले-बदले मेरे सरकार नजर आते है हम तीनों शिवराज के पहरेदार नजर आते है…

विशेष संपादकीय: विजय कुमार दास (मो. 9617565371)
मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की राजनीति करवट लेना चाहती है, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की दिन-रात मेहनत और पसीना वनमैन आर्मी की तरह बह रहा है। इसके बावजूद भी शिवराज सिंह के खिलाफ एंटीइनक्बेन्सी फैक्टर को रोकने में उनका मास्टर स्ट्रोक लाड़ली बहना योजना शुरूआती दिनों में जितना सफल था उतना अब नहीं है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भले ही आस्ट्रेलिया में चार दिनों के दौरे पर हैं लेकिन वे देश के ऐसे राजनेता है जो जिद और जुनून के दम पर ही राजनीति करते है और आज की तारीख में उनकी जिद है किसी भी सूरत में मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार को 2023 के विधानसभा चुनाव में वापस स्थापित करना है। इसी के चलते आस्ट्रेलिया में रहते हुए भी उनके कान उन राज्यों के मामलों में गृहमंत्री अमित शाह से हॉट लॉइन की तरह संपर्क में है और आस्ट्रेलिया से ही वे उन तीन राज्यों की चिंता कर रहे है। जहां नव्बर 2023 में विधानसभा के चुनाव होने है। यदि हम मध्यप्रदेश की बात करते हैं तो नेतृत्व में बिना बदलाव किये मध्यप्रदेश की जनता बदलाव महसूस करें और भारतीय जनता पार्टी को इस भरोसे पर वोट दे दे कि अब आगे भ्रष्टाचार नहीं होगा। तो इस रणनीति के अंतर्गत महाराजा ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र तोमर और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बारे में कल से ही विचार मंथन शुरू कर दिया है। नरेन्द्र तोमर तो दिल्ली में ही है, लेकिन कैलाश विजयवर्गीय को कल अपना इंदौर प्रवास का कार्यक्रम गृहमंत्री अमित शाह के निर्देश पर केंसिल करना पड़ गया। राजनैतिक विश्लेषक यह कहता है कि मध्यप्रदेश में बदलाव की चर्चा तो है लेकिन जिन तीन लोगों के नाम चर्चा में आये है उनमें महाराजा ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद अब नरेन्द्र तोमर और कैलाश विजयवर्गीय की भूमिकाओं को 30 मई 2023 के पहले तय कर दिया जायेगा। जहां तक सवाल है नरेन्द्र तोमर का वे बार- बार एक ही वाक्य दोहराते है मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान का काम बहुत अच्छा है उन्हीं के नेतृत्व में चुनाव होगा और यही बात भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी कहते है। वे कहते है शिवराज के नेतृत्व में हम फिर चुनाव जीतेंगे। मतलब ज्योतिरादित्य सिंधिया पहले ही यह कह चुके है कि वे मुख्यमंत्री पद की दौड़ में नहीं है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के हर फैसले को सिंधिया ने ऐतिहासिक बताया है और अब बदलावों की चर्चा में शामिल अदला-बदली वाले नरेन्द्र तोमर और कैलाश विजयवर्गीय भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पहरेदारी में लग गये है। सवाल उठता है मध्यप्रदेश में क्या होगा। तो इस सवाल के उāार में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दौरे बताते है कि शिवराज के नेतृत्व में ही विधानसभा का चुनाव होगा। लेकिन अब शिवराज सिंह चौहान को वनमैन आर्मी की तरह काम नहीं करने दिया जायेगा। इसलिए इस विशेष संपादकीय में यह लिखा जाना गलत नहीं होगा कि ‘बदले-बदले मेरे सरकार नजर आते है, हम तीनों शिवराज के पहरेदार नजर आते है…। बस इंतजार करना होगा कि यदि बदलाव नहीं है तो चर्चाएं क्यों और चर्चाएं है तो असमंजस क्यों और असमंजस है तो फिर भाजपा हाई कमान यह घोषणा करने में देरी क्यों लगा रही है कि कुछ भी हो जायें मध्यप्रदेश में चेहरा नहीं बदलेगा। और बदलेगा तो फिर क्या उपरोक्त तीनों चेहरों को एक साथ आगे रखा जायेगा अथवा नहीं यह खोज का विषय है। यह लिखने के संकोच नहीं है कि सिंधिया चुनाव अभियान के प्रमुख हो सकते है और संगठन की ज्मिेदारी के लिए कैलाश विजयवर्गीय को नवाजा जा सकता है तथा नरेन्द्र तोमर को दूल्हा बना दिया जाये तो चौंकिएगा मत।