मप्र को लेकर भाजपा कन्फ्यूज, संगठन बदले या सरकार…?

नई दिल्ली से विशेष रिपोर्ट: विजय कुमार दास (मो. 9617565371)
मध्यप्रदेश में 2023 का विधानसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी के 3 नेताओं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। मध्यप्रदेश में जितना महत्वपूर्ण 2023 का विधानसभा चुनाव है, उससे ज्यादा महत्वपूर्ण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिये 2024 का लोकसभा चुनाव है, जिसमें हिन्दी भाषी राज्यों से मध्यप्रदेश की अहम भूमिका रहेगी। इसलिए अब भारतीय जनता पार्टी के हाई कमान बने हुए उपरोक्त तीनों नेता कन्फ्यूज्ड हैं, उन्हें यह समझ में नहीं आ रहा है कि, जब सभी सर्वे के स्रोत संघ के अपने सर्वे को मिलाकर यह सूचना बार- बार दे रहे है कि, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी के जीतने वाले विधायकों की संख्या आज की स्थिति में 85 से ऊपर नहीं हैं। तब सेमीफाइनल जीतने के लिए, क्या किया जावें? सूत्रों के अनुसार मध्यप्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की राजनीति को जनता में भरोसे के लायक बनाने की रणनीति को लेकर, नई दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी मुख्यालय में तापमान 60 डिग्री से ज्यादा है, लेकिन कन्फ्यूजन बना हुआ है। सूत्रों का मानना है कि, प्रधानमंत्री और गृहमंत्री दोनों इस बात से सहमत है कि, मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी के संगठन में निचले स्तर तक आक्रोश है, इसलिए सबसे पहले संगठन के नेतृत्व में बदलाव किया जाए और इसी बदलाव को दिशा सूचक यंत्र के रूप में कुछ दिनों के लिए ऑबजर्बेशन के बाद सिर्फ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ एन्टी इन्कमवेंसी फेक्टर के बढ़े हुए तापमान पर निर्णय किया जाए। इसलिए यह लिखने में संकोच नहीं है कि, शिवराज के पहले संगठन को बदला जायेगा और संगठन का ताल-मेल शिवराज से नहीं बन पाया तो, किसी भी एक केन्द्रीय मंत्री के साथ अदला-बदली की रणनीति पर काम किया जायेगा। अब यदि संगठन में पहले बदलाव होता है, जिसकी संभावना 72 घंटे के भीतर है तो उसमें कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद सिंह पटेल तथा राजेन्द्र शुक्ला तीनों नाम हॉट केक की तरह है। समझा यह जा रहा है कि, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से ज्यादा एन्टी इन्कमवेंसी संगठन की हो गई है, क्योंकि शिवराज ने जिला स्तर पर प्रशासनिक हस्तक्षेप के सारे अधिकार संगठन को दे रखे थे, इसलिए उनकी इस दलील में दम है कि, एन्टी इन्कमवेंसी सरकार से ज्यादा संगठन की है। ऐसी स्थिति में भारतीय जनता पार्टी के उपरोक्त तीनों नेताओं का हाई कमान पॉवर सबसे पहले संगठन को ही बदलेगा और इसके बाद जितनी भी सर्वे रिपोर्ट आई है, उनका गूढ़ परीक्षण करने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से सहमति लेकर केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र तोमर अथवा महाराजा ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ अदला- बदली की प्रक्रिया को अपनाते हुए, खबरों पर पूर्ण विराम लगाया जा सकता है। इस विशेष रिपोर्ट का लब्बोलुआब यह है कि, भारतीय जनता पार्टी हाई कमान मध्यप्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की राजनैतिक स्थिति को लेकर कन्फ्यूज्ड है, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को तुरंत हटाने का रिस्क नहीं लेना चाहता। इसलिए संगठन में बदलाव अवश्यंभावी है, यह बात अलग है कि यदि ब्राह्मण नेता विष्णुदत्त शर्मा को हटाकर 9 बार के विधायक गोपाल भार्गव अथवा 4 बार के विधायक राजेन्द्र शुक्ला को महत्वपूर्ण बना दिया जाए तो चौंकिएगा मत। परन्तु खबर लिखने तक की खबर यह है कि, संगठन के लिए, कैलाशवर्गीय और प्रहलाद सिंह पटेल टॉप पर है और नरेन्द्र सिंह तोमर तथा ज्योतिरादित्य सिंधिया ‘सीएम-इन-वेटिंग’ बन चुके है, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता। क्योंकि इन चारों नेताओं ने आज अपने ट्वीटर हेंडल को साइलेंट रखा हुआ है।