टाटा मोटर्स ने कमर्शियल व्हीकल्स के दाम 2 प्रतिशत बढ़ाए

मुंबई: टाटा मोटर्स ने कल अपने कमर्शियल व्हीकल्स की कीमते 2प्रतिशत बढ़ाने का ऐलान कर दिया है। नई कीमतें 1 अप्रैल से गाडिय़ों के अलग-अलग मॉडल और वैरिएंट के अनुसार अलग-अलग लागू की जायेगी। इनपुट कॉस्ट बढऩे के कारण कीमतें बढ़ाने का फैसला लिया गया है। भारत की सबसे बड़ी कमर्शियल व्हीकल मैन्युफैक्चरर टाटा मोटर्स ने एक्सचेंज फाइलिंग में कहा कि इनपुट कॉस्ट बढऩे के चलते कीमतें बढ़ाने का फैसला लिया गया है। जनवरी में ‘कमर्शियल व्हीकल्स की कीमतों में 3 प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी वहीं कंपनी ने 1 फरवरी से अपने पैसेंजर्स व्हीकल्स की कीमतों में 0.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी। तब भी कंपनी ने कहा था कि कीमतों में बढ़ोतरी का मकसद इनपुट कॉस्ट में बढ़ोतरी की भरपाई करना है। कमर्शियल व्हीकल्स की कीमते बढ़ाने की खबर के बीच टाटा मोटर्स का शेयर कल 20.35 रुपए च्च् 2.00 प्रतिशत की तेजी के साथे 1,038 रुपए पर बंद हुआ है। इसके साथ ही कंपनी का मार्केट कैप भी 3.80 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया है। इससे पहले टाटा मोटर्स लिमिटेड के बोर्ड ने सोमवार (4 मार्च) को कंपनी के बिजनेस के ऑपरेशन को दो अलग-अलग एंटिटीज में बांटने यानी डीमर्जर की मंजूरी दी थी। कंपनी अपने कॉमर्शियल व्हीकल्स और पैसेंजर व्हीकल्स बिजनेस को अलग करना चाहती है। कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंज इंटीमेशन में कहा था, डीमर्जर 2०22 की शुरुआत में किए गए पीवी और ईवी बिजनेस के सब्सिडियराइजेशन का एक लॉजिकल प्रोग्रेशन है। दोनों बिजनेस को मजबूत बनाने और हाईयर ग्रोथ हासिल करने के लिए डीमर्जर किया जा रहा है। डीमर्जर दोनों बिजनेस को अपनी- अपनी स्ट्रेटजी को आगे बढ़ाने के लिए सशक्त बनाएगा। डीमर्जज के बाद एक एंटिटी में कॉमर्शियल व्हीकल बिजनेस और उससे जुड़े निवेश होंगे। जबकि दूसरी एंटिटी में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, जैगुआर-लैंड रोवर और रिलेटेड इन्वेस्टमेंट समेत पैसेंजर व्हीकल्स बिजनेस होंगे। कंपनी ने कहा था कि डिमर्जर को एनसीएलटी स्कीम ऑफ अरेंजमेंट के माध्यम से लागू किया जाएगा। टाटा मोटर्स के सभी शेयरहोल्डर्स के पास दोनों लिस्टेड एंटिटीज में समान हिस्सेदारी बनी रहेगी। उल्लेखनीय है कि, डीमर्जर के लिए सभी मंजूरी को पूरा होने में 12 से 5 महीने का समय लगेगा। डीमर्जर के लिए एनसीएलटी स्कीम को टाटा मोटर्स बोर्ड, शेयरहोल्डर्स, क्रेडिटर्स और रेगुलेटर्स से मंजूरी की जरूरत होगी। सभी मंजूरी को पूरा होने में 12 से 15 महीने का समय लग सकता है। टाटा मोटर्स के सीवी,पीवी और जेएलआर बिजनेस 2021 से स्वतंत्र रूप से ही ऑपरेट किए जा रहे हैं। डीमर्जर के पीछे का तर्क बताते हुए कंपनी ने कहा था कि सीवी और पीवी बिजनेस के बीच सीमित, लेकिन काफी तालमेल है, जिसका यूज कंपनी तीनों बिजनेस में करना चाहती है। डीमर्जर से एम्प्लॉइज, कस्टमर्स और बिजनेस पार्टनर्स पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा। कंपनी को लगता है कि वह विशेष रूप से ईवीएस, ऑटोनोमस व्हीकल्स और व्हीकल सॉफ्टवेयर के एरियाज में तालमेल का यूज कर सकती है। टाटा मोटर्स को उम्मीद है कि इस डीमर्जर से एम्प्लॉइज, कस्टमर्स और हमारे बिजनेस पार्टनर्स पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा।