मुख्यमंत्री का निर्देश है मोदी फॉमूले पर काम करो, कलेक्टर ने आदेश का पालन किया, रेत माफियाओं के 200 डंपर-पोकलेन पकड़ लिया, प्रमुख सचिव कलेक्टर पर भड़के, बोला किसने कहा माफियाओं के खिलाफ तेजी से काम करो, इसलिए तो मध्यप्रदेश में ‘कलेक्टर संस्थान’ हो गया बर्बाद

मध्यप्रदेश में कलेक्टर संस्थान की प्रतिष्ठाा को तार-तार करने के लिए, कोई और जिम्मेदान नहीं, जिम्मेदार है तो पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस की तरह कुछ अर्कमन्य नौकरशाह जिन्हें सरकार की छवि से कोई लेना देना नहीं होता। उन्हें अपने लोगों के साथ सांठगांठ में यदि कलेक्टर ने दखल अंदाजी की तो वे फिर वे कलेक्टर इंस्टीट्युशन को बर्बाद करने में पीछे नहीं रहते। ताजा उदाहरण है कि, मध्यप्रदेश में एक आदिवासी जिले के जाबाज कलेक्टर ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा घोषित भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस के फॉमूले को लागू करते हुए, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर अपने जिले में कथित माफियाओं पर नकेल डाल दी। जानकारों और प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि, 50 साल के इतिहास में भी उक्त जिले को ऐसा जाबाज कलेक्टर नहीं मिला था, जिसने खनिज माफियाओं के 200 ट्रक, डंफर और पोकलेन का े पकड़ कर जप्त करके अवैध रेत उत्खनन पर रोक लगाई और गांव वालों ने राहत की सांस ली । लेकिन दुर्भाग्य देखिए कलेक्टर यदि भ्रष्टाचार के खिलाफ काम करे, मुख्यमंत्री के निर्देश पर खनिज माफियाओं और रेत माफियाओं के अवैध उत्खनन में उपयोग में लाई गई ट्रक, डंफर और पोकलेन पकड़ ले तो प्रमुख सचिव साहब भड़क जाते है। सूत्रों का कहना है कि, पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस के फालोगार्ड के रूप में काम करने वाले प्रमुख सचिव ने आदिवासी जिले में बहादुरी से काम करने वाले, एक डाउन-टू-अर्थ कलेक्टर को इतनी डांट लगाई जैसे मीडिल स्कूल में कोई सिरफिरा प्राचार्य अपनी क्लास में होशियार बच्चें की जानबूझकर पिटाई कर देता है और वह बच्चा रो-रोकर हमेशा-हमेशा के लिए दहशत में चला जाता है। कल की घटना कुछ ऐसी ही थी एक प्रमुख सचिव ने गरीब परिवार की पृष्ठभूमि से आए हुए, आदिवासी जिले के कलेक्टर को डिप्रेशन में डाल दिया है। सूत्रों के अनुसार 55 जिले के कलेक्टरों से उन्होंने यह कहा है कि, तुन्हीं कलेक्टर हो और तुम्हीं बुद्धिमान हो, कब से कर रहे हो कलेक्टरी, क्या जरूरत थी इतनी सारी गाडिय़ां पकडऩे की होश में रहकर काम करो वरना …। इस कॉलम का लब्बोलुआब यह है कि, मध्यप्रदेश के कु छ अर्कमण्य नौकरशाह कलेक्टर संस्थानों को इसी तरह बर्बाद करते है और कलेक्टर को कलेक्टर रहने देने में उन्हें बड़ी तकलीफ है। सूत्रों के अनुसार लोग कहते है कि, जब पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस द्वारा इसी तरह डांट लगाई जाती थी तो कलेक्टर कलेक्टर नहीं रहता था मैनेजर बन जाता था। और कलेक्टर संस्थान की हैसियत को शून्य करने में ऐसे ही नौकरशाहों का नाम काले अक्षरों में लिखा जाता है। उल्लेखनीय है कि, उपरोक्त वाक्या मध्यप्रदेश में खनिज विभाग के प्रमुख सचिव निकुंज श्रीवास्तव एवं बैतूल जिले के कलेक्टर नरेन्द्र सूर्यवंशी को लेकर नहीं लिखा गया है और इस घटना से मुख्यमंत्री सचिवालय में हंडकंप मच गया है…। खबरची